हिंदू धर्म में भगवान शिव के अवतार काल भैरव एक रहस्य की तरह है. इतना ही नहीं भैरव सबसे बड़े लोक देवता भी माने जाते हैं. क्या आप जानते हैं कि काल भैरव कौन हैं और उन्हें काल भैरव क्यों कहा जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार काल भैरव शिव का ही रूप माना जाता है. इन्हें रुद्रावतार के नाम से भी बुलाया जाता है.
कहते हैं कि शिव के रक्त से भैरव का जन्म हुआ था. भैरव के भी दो रूप हैं काल भैरव और बटुक भैरव. भारत में काल भैरव के सबसे जागृत मंदिर उज्जैन और काशी में हैं. बटुक भैरव का मंदिर लखनऊ में है. कहते हैं कि इनकी उपासना के बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है. हिन्दू और जैन दोनों भैरव की पूजा करते हैं.
भैरव का जन्म-
कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बीच अपनी श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ. जिसे सुलझाने के लिए तीनों लोकों को देव ऋषि मुनि के पास पहुंचे. ऋषि मुनि विचार-विमर्श कर बताया कि भगवान शिव ही सबसे श्रेष्ठ हैं. ये बात सुनकर ब्रह्मा नाराज हो गए और उन्होंने भगवान शिव के सम्मान को ठेस पहुंचाना शुरू कर दिया.
ये देखकर शिवजी क्रोध में आ गए. भोलेनाथ का ऐसा स्वरूप देखकर समस्त देवी-देव घबरा गए और शिव के इसी क्रोध से कालभैरव का जन्म हुआ. काल भैरव ऐसे देवता हैं जो काल यानी समय से परे हैं. समय की गति के कारण ही किसी भी व्यक्ति की मौत आती है. लेकिन जब कोई व्यक्ति अपनी योग शक्ति से समय से परे चला जाता है तो वो काल भैरव हो जाता है.
अगर सच्चे मन से इनकी उपासना करने से उसकी सुरक्षा का भार स्वयं उठाते हैं. वह अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और अगर भैरव नाराज हो जाएं तो अनिष्ट भी हो सकता है.